सहारनपुर। 9 मई सहारनपुर के इतिहास में कलंक के रूप में दर्ज हो गई है। 9 मई 2017 को सहारनपुर जातीय हिंसा की आग में जल उठा था और अब एक बार फिर 9 मई को ही सहारनपुर में माहौल गर्मा गया। इधर महाराणा प्रताप भवन में क्षत्रिय समाज की महासभा चल रही थी और यहां से चंद कदमों की दूरी पर भीम आर्मी सेना जिला अध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन की अपने ही गांव में गोली लगने से मौत हो गई।
सचिन को गोली कैसे लगी यह तो जांच का विषय है, लेकिन उसकी मौत होने से सहारनपुर में एक बार फिर से माहौल खराब हो गया। प्रशासन ने आनन-फानन में क्षत्रिय महासभा कार्यक्रम को रुकवा दिया और उधर भीम आर्मी के पदाधिकारियों को जैसे ही घटना की खबर मिली तो उनका गुस्सा फूट पड़ा और कुछ ही मिनटों में सहारनपुर जिला अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में दलित समाज के लोग इकट्ठा हो गए। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मामले में शेर सिंह राणा सहित कई अन्य लोगों के नाम नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है।
इसी बीच पुलिस के हाथ एक ऐसा वीडियो लगा जिसमें रामनगर गांव में ही महिलाएं सड़क से खून साफ कर रही थी और इस दौरान पुलिस को यह आशंका हो गई कि सचिन को किसी ने गोली नहीं मारी है और यह दुर्घटना हो सकती है और इस दुर्घटना को हत्या का रूप देने की कोशिश की गई इसीलिए सड़क पर पड़े सचिन के खून को पाइप से आनन-फानन में धोया गया। एक और सचिन वालिया के परिजन और दलित समाज सीधा आरोप लगा रहा था कि सचिन की गोली मारकर हत्या की गई है और उधर पुलिस के हाथ कुछ ऐसे सबूत और वीडियो लगे थे जो हत्या की वारदात को झुठला रहे थे। लेकिन पुलिस के पास अभी तक कोई ऐसा ठोस सबूत भी नहीं था जिससे यह कहा जा सके कि सचिन वालिया की गोली मारकर हत्या नहीं की गई है बल्कि वह किसी दुर्घटना का शिकार हुआ है। कोई पुख्ता सबूत ना होने की वजह से पुलिस सीधे तौर पर यह नहीं कह सकी कि सचिन को गोली नहीं मारी गई है।
उधर भीम आर्मी का गुस्सा और संख्या दोनों ही लगातार बढ़ते जा रहे थे सहारनपुर जिला अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में दलित समाज की महिलाएं पुरुष और युवा मोर्चा जी के बाहर बैठ गए और उन्होंने साफ कह दिया कि जब तक आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर लिया जाता उनकी गिरफ्तारी नहीं कर ली जाती पीड़ित परिवार को 5000000 रुपए मुआवजे का आश्वासन नहीं दे दिया जाता और सहारनपुर एसपी सिटी प्रबल प्रताप सिंह को सस्पेंड नहीं कर दिया जाता तब तक वह किसी भी कीमत पर पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे। 19 मई यानि बुधवार सुबह करीब 10:30 बजे पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी हुई और सचिन वालिया के शव को उसके गांव रामनगर की ओर पुलिस लेकर रवाना हुई।
आशंका जताई जा रही थी कि डेडबॉडी पहुंचने के बाद रामनगर में सड़क पर बैठे युवा उबाल ले सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बेहद शांतिपूर्ण तरीके से यहां मौजूद दलित समाज के लोगों ने एंबूलेंस से सचिन वालिया के शव को उतार कर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरु कर दी। इसके बाद हजारों की संख्या में युवा और दलित समाज के लोग सचिन वालिया के सब के साथ श्मशान घाट की ओर चले गए लेकिन पुलिस यहां अभी भी तैनात थी और पुलिस को यह आशंका थी कि लौटते वक्त भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष कमल वालिया अपने भाई की मौत पर कुछ बोलेंगे और इस दौरान एक बार फिर से माहौल गरमा सकता है। इसी बीच प्रशासन के अधिकारियों ने एक बार फिर से कमल वालिया से बात की और पूरे मामले को काबू करने के प्रयास किये।
करीब डेढ़ घंटे बाद अंतिम संस्कार की क्रिया पूर्ण होने के बाद जब श्मशान घाट से भीड़ दोबारा रामनगर गांव पहुंची तो फोर्स को अलर्ट कर दिया गया लेकिन इसी बीच भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष कमल वालिया की ओर से सभी लोगों को हाथ जोड़कर यह कहलवा दिया गया कि वह जिस तरह से आए थे उसी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से वापस चले जाएं और उन्हें कुछ भी नहीं कहना है।
इस तरह 9 मई की दोपहर को सहारनपुर में माहौल गर्माना शुरू हुआ था और 10 मई दोपहर 2:00 बजे तक यहां हालात सामान्य हो सके। अभी भी सहारनपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और मालीपुर रोड पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है पैरामिलिट्री फोर्स लगाई गई है महाराणा प्रताप भवन पर फोर्स तैनात है और रामनगर गांव में भी पुलिस बल लगाया गया है फिलहाल मालीपुर रोड पर वाहनों के आवागमन पर रोक है और यहां केवल दुपहिया वाहनों को ही चेकिंग के बाद जाने की अनुमति दी जा रही है.